बलिया : शौचालय का वही हाल है ठेकेदारी प्रथा जोरों पर चल रही है, स्वच्छ भारत मिशन के तहत पहले लाभार्थियों का 12 हजार का चेक दिया जाता था और शौचालय बनाया जाता था। बाद में शौचालय की धनराश दो भागों में दिया जाने लगा। उसके बाद पंचायत स्तर पर ठेकेदारों को तैनात कर दिया गया है, जो लाभार्थियों से पैसा निकलवाकर ले जाते हैं, सामान उपलब्ध कराते हैं और मजदूरी लाभार्थियों को स्वयं देने का निर्देश देते है।
जो ऐसा नहीं करता है उसका एमआईएस होने के बाद भी धनराशि उपलब्ध नहीं कराई जाती और इस धंधे में की लोगों को तैनात कर दिया गया है, जो पैसा नहीं देते उससे बतौर सुविधाशुल्क दो हजार की सुविधाशुल्क की वसूली की जाती है। यही वजह है कि विकास खंड मुरली छपरा में आज तक 50 प्रतिशत शौचालयों का निर्माण नहीं हो सका और उच्चाधिकारी लाभार्थियों से आग्रह करते फिर रहे हैं कि किसी तरह आधा तो पूरा कर लो। कम से कम रिपोर्ट तो लग जाय।
रिपोर्ट : विद्याभूषण चौबे