हरिद्वार- पंचकेदार श्रंखला के त्रत्रीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी आज श्रधालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए है | भगवान् तुंगनाथ के कपाट आम तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए आज सुबह में खोले गए है | आपको बता दें कि इससे पहले, भगवान् तुंगनाथ की उत्सव डोली चोप्ता से तुंगनाथ पहुंची जहां परम्परागत पूजा अर्चना के साथ उनके कपाट खोलने की परम्परा संपन्न की गई |
जिस समय मंदिर के कपाट श्रधालुओं के लिए खोले गए उस समय मंदिर के पुरोहितों के अलावा बदरीनाथ धाम और केदारनाथ धाम मंदिर के पदाधिकारी भी मौजूद रहे | इसके साथ ही साथ क्षेत्रीय विधायक मनोज रावत भी मौजूद रहे |
आपको बता दें कि तुंगनाथ उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है | तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर, जो 3680 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है और पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है | यह मंदिर 1000 वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है | ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे | तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है | मंदिर चोपता से 3 किलोमीटर दूर स्थित है |
बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है | जनवरी-फरवरी के महीनों में आमतौर पर बर्फ की चादर ओढ़े इस स्थान की सुंदरता जुलाई-अगस्त के महीनों में देखते ही बनती है | इन महीनों में यहां मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है | इसीलिए अनुभवी पर्यटक इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से करने में भी नहीं हिचकते | सबसे विशेष बात ये है कि पूरे गढ़वाल क्षेत्र में ये अकेला क्षेत्र है जहां बस द्वारा बुग्यालों की दुनिया में सीधे प्रवेश किया जा सकता है| यानि यह असाधारण क्षेत्र श्रद्धालुओं और पर्यटकों की साधारण पहुंच में है |